प्रगतिवादी विचारकों के लिए ‘पुरोहितशाही’ शब्द घिसापिटा शब्द है, जिसका उपयोग कोई भी सकारात्मक तरीके से नहीं करता है।इसीलिए उस शब्द का परिचय फिर से कराने की जरूरत नहीं है।…
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बौद्धिक दास्य में भारत
जीवन का अर्थ ढूँढ़ने का व्यर्थ प्रयास
by Dr Uma Hegdeby Dr Uma Hegde 24 viewsक्रिश्चियनिटी दावा करता है कि मनुष्य के जीवन के पीछे गॉड का उद्देश्य निहित रहता है। उस उद्देश्य को जानना ही मनुष्य जीवन की सार्थकता की खोज होती है। पाश्चात्य…
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कई साल पुरानी बात है। मैं कर्नाटक में एक अनुसन्धाताओं का एक नया वृंद तैयार करने की कोशिश में व्यस्त था। मेरे नये सिद्धान्त के बारे में लोगों में दिलचस्पी…
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बौद्धिक दास्य में भारत
विद्वानों को क्यों लगा कि सभी संस्कृतियों में रिलिजन है
by S. N. Balagangadhara 19 viewsपाश्चात्यों ने जिन समाज को देखा उन सभी में रिलिजन को पाया। भारत में उन्हें हिन्दूइज्म, बुद्धिइज्म, जैनिइज्म आदि रिलिजन दिखाई दिये। परन्तु उन्हें संदेह भी था कि ये रिलिजन…
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बौद्धिक दास्य में भारत
क्या भगवान से मृतक की आत्मा को शान्ति मिलती है
by S. N. Balagangadhara 59 viewsक्रैस्तों का सोल जो है उसका भारतीय आध्यात्म में प्रचलित आत्मा शब्द से समीकरण किया गया है। हिन्दूइज्म भी एक रिलिजन समझकर ऐसा अनुवाद किया गया है। ऐसे अनुवाद से…
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भारतीय लोग हिन्दूइज्म को एक रिलिजन समझ गये थे तथा वे मान चुके थे कि अपने मन्दिर भी चर्च की तरह धार्मिक संस्थाएँ हैं। परन्तु ऐसी समस्या आई कि कई…
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बौद्धिक दास्य में भारत
भारतीय संस्कृति में डेविल और ईविल की परिकल्पना नहीं है
by S. N. Balagangadhara 46 viewsक्रिश्चियानिटी में गॉड और ईविल नामक परस्पर विरोधी शक्तियाँ हैं। गॉड भलाई का साकार मूर्ति है तो ईविल बुराई का। एक ही स्थान में भलाई बुराई रहना नामुमकिन है। भारतीयों…
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बौद्धिक दास्य में भारत
क्या भारत में एकेश्वरवाद और बहुदेववाद नामक उपासना पद्धतियाँ हैं
by S. N. Balagangadhara 48 viewsमोनोथेइज्म अथवा एकेश्वरवाद के अनुसार गॉड एक ही है। क्रिश्चियानिटी के अनुसार एक देवोपासना ठीक है। भारत में प्रचलित बहुदेवोपासना को पाश्चात्यों ने पाॅलिथेइज्म अथवा बहुदेवोपासना कहकर पुकारा और इसे…
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बौद्धिक दास्य में भारत
भगवान अथवा गॉड पर विश्वास रखने का मतलब क्या है
by S. N. Balagangadhara 89 viewsअंग्रेजी भाषा के ‘बिलीफ’ शब्द का अर्थ होता है कि किसी कही हुई बात या Doctrine को सत्य समझकर विश्वास करना। जब पाश्चात्य लोग भारत आये तब उन्हें लगा कि…
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बौद्धिक दास्य में भारत
‘मूर्ति पूजन नाजायज है’ कहने की सोच कहाँ से उत्पन्न हुई?
by S. N. Balagangadhara 44 viewsरिलिजन में मूर्ति पूजा करना पाप समझा जाता है। उसे ऐडोलेट्री नाम से पुकारते हैं। इसीलिए पाश्चात्यों को भारतीयों का मूर्ति पूजन ही हिन्दू रिलिजन की अवनति का लक्षण लगा।…